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अभी कहानी ख़तम नहीं मेरे दोस्त…….

sunraistournews
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रामदेव पर पूरा दवाव बनाने की कोशिश में सरकार लगी है पर कामयाव होती नहीं दिख रही है क्यों की सरकार चारो और से घिरी नज़र आ रही है कारण पहले रामदेव को मनाया फिर दवाया फिर लगातार हमला की बाबा ढोगी था बल्क्रिशन गुंडा था फिर धरा १४४ लगा कर अन्ना की सांकेतिक अनशन को रोकना बौखलाहट का नतीजा यह बतला रहा है की सरकार जवर्दस्त दवाव में है? क्यों की सुप्रीम कोर्ट का नोटिस और महिला आयोग का दवाव रंग दिखा रहा है यह समाचार भारत तक ही सीमित नहीं है के रामदेव के अनशन स्थल को ध्वस्त सरकार ने जान बुझ कर किया?
माना की रामदेव की राजनेतिक महत्वाकांक्षा राजनीत करने की थी और उनको कट्टरपंथियों का समर्थन था फिर भी शाशन की निरंकुश नीति पुरे समाज में गुस्से का कारण बन रही है उसी का नतीजा हुआ की कल कोंग्रेस के महा सचिव जनार्दन दूवेदी को उनके ही सभागार में जूता दिखाया गया और जगह जगह प्रदर्शन हो ही रहे है घटना एक छोटी थी पर परिणाम बिश्व वियापी है ? यह सब फजीअत हुई मध्यस्थ की भूमिका में रहे कपिल सिब्बल के गेर जिम्मेदाराना रवैये से जिसमे पी ऍम को भी बोलना पडा और सुप्रीम कोर्ट को भी कूदना पडा?
अब बताया जा रहा है की रामदेव नरम पड़ते दिख रहे है उन्होंने अपने अनुयाइयो से कहा है की वह खुद अनशन पर रहेंगे पर जनता अनशन तोड़ दे? रामदेव का कहना की मेरा एन कोंउन्टर करने की जुगाड़ में थी सरकार? हास्यपद लगा जब राजनीत के मैदान में कूद ही रहे हो तो इस तरह के आचरण के लिए तैयार रहना चाहिए. सरकार किसी की हो पर दमन तो हर सरकार करती ही है रोज़ सेकड़ो लोग मारे जाते है वह भी इस देश की ओलाद है कुछ ही केश दर्ज होते है वाकी को संतोष करना पड़ता है ? हत्या कोई दवंग कर रहा हो या क्रिमनल मरना तो जनता को ही है .तो मौत से भागना गलत है फिर आप पर तो जेड रेंक की सुरक्षा थी ही जो सरकार ने पद्दत की थी पिच्छले शाशन काल में तो डर किस बात का था. सरकार आपको मार के शहीद की श्रेणी में नहीं रखना चाहती थी और रख भी देती तो सरकार कभी नहीं बचती ?
मीडिया अब आपको ज़िंदा रखेगी क्यों की आप देश की धरोहर है और सच को सामने लाना अब जरुरी है चाहे अब आन्दोलन दिल्ली में हो या हरिद्वार में आप हमेशा लाइव है हर चेनल पर आपकी चर्चा आम है आपकी लड़ाई बीजेपी लड़ने की कोशिश कर रही है पर लड़ नहीं पायगी क्यों उनके स्वार्थ सिद्ध हो चुके है यह ही किसी अन्य देश होता तो अभी तक सब विधायक और सांसद त्याग पत्र दे चुके होते और सरकार के पास कोई चारा नहीं होता की सच्चाई को सामने लाने के. पर गिरगिट की तरह रंग बदलने वाले लोग कभी देश की मूल समिस्या पर गंभीर नहीं हुए मुलायम सिंह भी आपके प्रति नरम है पर उतराखंड के निर्माण के समय यह कितना कठोर नेता रहा सब जानते है राजनेतिक हथकंडे आपके बस की बात नहीं है वह इन पर ही छोड़ दो. शायद आपने बीजेपी की नेता महान को कल राजघाट पर डांस करते तो देख ही लिया होगा जो यह बताता है खुशिया अपार है मुद्दा अब उनके पास है ?
यदि राजनीत का शौक है तो राजनेतिक दल बना कर अपनी इच्क्षा पुरी करो एक ही सांसाद दे सकते हो तो भी बुरा नहीं है क्यों जब लालू चार संसद लेकर गुर्रा सकता है कहता है की २ से ३ लाख वोट से जीत कर पहुंचा सांसद की बात सूनी जा नी है दस पंद्रह हजार लोग इकट्ठा कर के सरकार को दवा सकते हो. चाहे इनके सांसद सदन में सोते सोते समय पूरा कर ले पर है तो आखिर नेता है उनकी पदवी जब और बाद जाती है जव सांसद की कमी पड़ रही हो उसी की कमाई से बच निकलती है उतर परदेश सरकार जो हमेशा विवादों में रहती है पर फेवीकोल के जोड़ से चिपकी है भत्ता पर्सोन में किसी भी नेता की एंट्री नहीं होती है पर राहुल घंधी साईकिल पर सवार हो दर्शन दे देते है दिग्विजय सिंह और अमर सिंह पहुँच ही जाते है आखिर केसे सोचो ?
अन्ना ने फिर बीड़ा उठा लिया है की लड़ाई जारी रहेगी वह एक सामाजिक मंच को ले कर चल रहे है तो कामयावी जरुर मिलेगी आपने शोर्ट कट की नीति अपनाई मात खा गए मंच को शेयर किया राजनेता के साथ हुआ हुआ समझोता टूट गया पर आपके पास दो मुद्दे तो सटीक थे पर कोई बात नहीं बात बिगड़ी नहीं है फिर सही एक जूमला है की ” असफलता यह सिद्ध करती है की सफलता का परियास पुरे मन से नहीं किया गया?’
शाररुख खान की फिल्म का डायलोग की किसी की चाहत पुरे मन से की जाए तो पुरी कायनात उनको पूरा करने में मदद करती है कहानी ख़तम नहीं हुई है मेरे …… ? या तो राजनेतिक बनिए या समाज के योग गुरु यह सोचना आपके लिए छोड़ देता हूँ?

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