Menu
blogid : 2132 postid : 288

हम तो चले परदेश ……………..?

sunraistournews
sunraistournews
  • 104 Posts
  • 59 Comments

लगभग पंद्रह साल पहिले जब गाव से शहर की और रुख किया था तो गाव से छूटने की कषक थी हर छोटे बड़े रिश्ते को छोड़ने का गम था बार बार आंख में आंशु आ कर गाव छोड़ने के गम का इज़हार करते थे पर लगभग चार साल बाद जब गाव गया तो हर एक के हाल चाल पूंछ कर मन खुश हो रहा था हर कोई अपने घर बुलाने का को तत्पर था एक माँ को घर पर छोड़ा था दो भाइयो को छोड़ा था तो उनके सकुशल रहने की हमेशा कामना करता था और सोच कर खुश हो लेता था कि गाव है सब अपने है तो मेरे परिवार को कोई कष्ट नहीं होगा और सही भी साबित हुआ.पर अब वैसा नहीं है घर के ही लोग हम सबके दुश्मन बने हुए है मात्र इसलिए की उनपर पैसा बरस रहा है और पैसे ने आंखे बंद कर दी है.
अब जब पुराणी पीडी समय के साथ चल बसी और लगाम नई पीडी के हाथ आने लगी तो परदेश जयादा अच्छा लगने लगा छोटी छोटी बातो पर झगडे और पुलिस केश होने लगे किसी रिश्ते का लिहाज़ नहीं रहा बाप और बेटे में नहीं पटती बहू और सास में नहीं पटती भाई और भाई में नहीं पटती तो स्वदेश के तराने भी बेगाने से लगने लगे है?
पिछले दिनों एक साथी ब्लोगेर ने माँ का दर्ज़ा को बहुत उंचा बताया और तमाम आदर्श बाते कही उन्ही को गुनता हुआ मेने भी सोचा कि भगवान् के दर्शन से अच्छा है कि अपनी माँ के दर्शन ही कर आऊ. उसी सिलसिले में गाव गया .गाँव के पास ही एक चुराहा है जहां तक बस मिलती है बस से उतरा और भाई को फोन करके कहा कि में यहाँ खडा हूँ. इंतज़ार कर कर के काफी देर हो गयी तभी नज़र एक अधेड़ उम्र महिला पर पडी वह बार बार इधर उधर जा रही थी उसके साथ एक बोरी थी उसमे शायद गेंहू रहे होंगे उसको भी मेरे ही गाव जाना था पर सवारी नहीं मिल रही थी तभी वह मेरे पास आयी और बोली भैया कहाँ जाना है मेने बता दिया वह बोली कि जाना तो मुझे भी वही है बैसे तो कुछ नहीं था में पैदल ही चली जाती पर साथ में बोरी है तुम जब भी चलो तब मुझे भी ले चलना. मेने हाँ में सर हिला दिया इतने में थोड़ी देर बाद एक लड़का आया शायद उसका ही रहा होगा वह उस महिला को बुरा भला कहने लगा. कहे जा रहा था कि घर में खाने को नहीं है जो बहिन के यहाँ से गेंहू ला रही है खाने को नहीं मिलता है यहाँ बुडिया भी कहे जा रही थी कि खाने को मिलता तो काहे को लडकी के यहाँ से गेंहू लाती. लडकी के यहाँ पानी पीना भी पाप है पर करना पड़ रहा है? वह युवक कहे जा रहा था कि ठीक है यदि खाने को लडकी के यहाँ से लाती है तो वही रह जा गाँव जाने की जरुरत नहीं है यदि गाँव गयी तो मार डालूँगा गेंहू ले जा और कही भी जा कर रह . बुडिया कहे जा रही थी घर में खाने को नहीं मिलता है तभी में लडकी के यहाँ से लेकर आयी हूँ . मेरा चश्मा तोड़ दिया वह भी नहीं बना कर दिया. थोड़ी देर में बुडिया ने घर जाने का ख़याल बदल दिया दुसरी तरफ जाने वाले ऑटो में सवार हो बुडिया कही चली गयी. जिस तरह से युवक चिल्ला रहा था उससे लग रहा था कि जो कह रहा है वह करके दिखा सकता था यह उसी का खून है जिसको पाल पोस कर बड़ा किया है साहित्य में लिखा पडा सब काफूर हो गया. इस लड़के ने यह भी नहीं सोचा की इस ढलती उम्र में यह कहाँ जायेगी. कुछ समय बाद एक सवारी आयी और वह युवक सवार होकर चला गया.
मेरे जेहन में कई सवाल कौंध गए कि जब तक इसका आदमी ज़िंदा रहा होगा जो जमीन जायदाद उसी की रही होगी तो घर सही से चल रहा होगा आज वह नहीं है तो उसकी इतनी बेकद्री हो रही है जब कि उसके पति की ही जमीन पर उसका लड़का हक रख कर ही शायद गाँव में रह रहा होगा. मुझे टेलीफोन करने पर पता चला कि मेरी माँ भी मेरी मौसी के घर गयी है कहीं ऐसा तो नहीं कि मेरे भाइयो के गलत बर्ताव से रुष्ट हो चली गयी होंगी . चिंता होना स्वभाविक है क्यों की बहु जब आती है तो सास ही उसका स्वागत करती है पर कुछ ही दिनों में बह पति पर कब्जा कर लेती है और बाकी परिवार फ़ालतू की चीज़ बन कर रह जाती है समाज के ठेकेदार इसको ही तर्रकी कहते है ?
अगले ही दिन में उनको लेने गया हाल ही मेरे मौसा जी का निधन हो गया था तो जाना तो था ही साथ में माँ को भी ले कर आ गया. और पूंछ ही लिया की कोई तकलीफ तो नहीं है यदि हो तो कह दो चाहे कुछ भी करना पड़े हालत तो सुधारने ही होंगे. यह है स्वदेश का हाल इसमें कौन सकूँ पा सकता है जन्म भूमि है तो रिश्ता तो रहेगा ही पर हर रिश्ता अपना बजूद खो चुका है. जब लोग कहते है गाँव आते जाते रहा करो तो मन मसौस के कह तो देता हूँ कि अब यहाँ क्या रहा गया है जिसको निभाया जाए बेटे पराये हो रहे है बहु की आड़ में बहु अपने बच्चो के और मैके के अलावा कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है भाई भाई का दुश्मन बना जा रहा है.
भाई भाई का दुश्मन बना जा रहा है इसकी सन्दर्भ में भी एक बाकया आँखों के सामने गुज़रा मेरे पड़ोस में एक परिवार रहता है दो भाई थे बड़ा भाई एक स्कुल में टीचर था छोटा भाई एक कार चला कर अपना घर परिवार चला रहा था. छोटा भाई हाल ही में गुज़र गया उसके दो छोटे छोटे बच्चे है और माँ है छोटा भाई जब तक रहा घर में ही उसको दो कमरे दे रखे थे जैसे ही वह गुजरा कि उसके बीबी बच्चो को बड़े भाई ने घर से निकाल दिया वाहर की और एक कमरा दे दिया अब तंग हालत उसी से गुज़ारा करना उन माँ बेटो की मजबूरी है. हद तो तब हो गयी जब किसी मार पीट के मुकद्दमे में दोनों बच्चो को फसा दिया यानी पड़ोस में हुए झगडे में इन बच्चो के नाम दर्ज करवा दिए मासूमो के अब मुकद्दमे में फसे रहो और जिन्दगी में सकूँ कभी ना पा सको यह सोच है सुना है की टीचर जी का एक लड़का पुलिस चोकी में दलाल का कम करने लगा है तो शुरुआत तो घर से ही होनी चाहिए? इस बुजुर्ग की कहानी को क्या कहेंगे यह घर घर की यही कहानी बन रही है समय गुज़रता जा रहा है लोग तरक्की करते जा रहे है स्वदेश की माटी भी दगा दे रही है एक कोख से जन्मे भाई भाई दुष्मन बन गए है.
अभी कल ही अखबार पड़ रहा था चार साल में चार भाइयो ने अपनी बहिन को चार बार बेच दिया? आये दिन यह समाचार मिल ही जाते है की बेटो और बहूँ ने माँ बाप को घर से निकाल दिया या धन दौलत के लालच में बुज़ुर्ग की ह्त्या कर दी समाज शाश्त्र की रूपरेखा ही डगमगाने लगी है एक समय था जब गाँव की बहु बेटी पुरे गाँव की बहु बेटी होती थी पर अब आये दिन बहु बेटी पर अत्यचार करने वाले गाँव के ही लोग मिलते है चाहे उन्हें दवंग की संज्ञा दो या खाप पंचायतो की अत्याचार तो हो ही रहा है
एक आदमी जब गाँव छोड़ कर शहर आता है तो उसे लगता है की वही पुरानी परम्पराए आज भी ज़िंदा होंगी आज माँ लोरी सूना कर बच्चो को सुलाती होगी आज भी गाँव में कोई बरात आती होगी तो पूरा गाँव एक मत उस परिवार के साथ खड़ा होता होगा कियो की गाव की इज्ज़त आज भी पुरे समाज की इज्ज़त मानी जाती होगी , जब में पुनः घर गया, तो हालत बदली थी और सब कुछ बदल चुका है पैसा वहाँ भी बोलता है और हर रिश्ते नाते उसी से तौले जाते है, अब कोई किसी की नहीं सुनता देश में निकला होगा चाँद पर किसके लिए आज भी पहेली बन कर सवाल खडा कर देता है की जैसे कोई शक्श कोमा की हालत में बीस साल बेहोश रहे और होश में आने पर पुराने लोग और पुरानी सम्बेदनाये खोजे तो कोई उसे पागल ही कहेंगा ? वही हाल मेरा हो गया है की पुरानी बाते याद करके खुश होऊ या बर्तमान में बिखरे रिश्तो को समेटू काश हम आज भी वह संगीत महशुस कर पाते दूर के चाचा ताऊ को अपने बाप से ज्यादा भरोसा कर पाते पर अब वह सब कुछ किताबी बाते बन कर ही रह गयी है सच्चाई वही है जो दिख रही है ?
“यह सौहरत भी लेलो,
यह दौलत भी लेलो
चाहे छीन लो तुम मेरी जवानी
मुझे लौटो दो मेरे बचपन के दिन और दादी की लम्बी कहानी ………………..? “

Tags:   

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh