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बारूद के ढेर पर बैठी है यह दुनियाँ

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कहने को कहना आसान है कि ओबामा सरकार ने ओसामा बिन लादेन को मार गिराया अमरीकन हकूमत एक निष्ठ है और जो वह चाहती है कर गुज़रती है. पर इस देश की खुफिया तंत्र दुनियाँ का नंबर एक का संगठन है और दुनियाँ की हर जानकारी इनके पास होती है तो ओसामा की जानकारी खोजने में दस साल लग गए क्यों ?
हर देश ने आतंक का जहर सहा है दुनियाँ में कोई देश नहीं होगा जिसके यहाँ कोई ना कोई घटना नहीं हुयी होगी. पाक के बारे में कहा जाता है कि पाक की हर कार्यवाही अमरीका के मुताबिक़ होती है ९/११ की घटना के बाद अमरीका सतर्क हो गया और दुसरी घटना नहीं घटी पर मुलजिम को खोजने में इतना समय लग गया कि उनके ऊपर दबाव साफ़ दिख रहा था. भारत ने कई बार कहा कि टॉप लिस्टेड आतंकबादी पाक की जमी में पनाह ले रहे है मित्र देशो को भी पता था कि पाक आतंकवादी की पनाह गाह है और सुरक्षित है . फिर भी अमरीका बराबर आर्थिक मदद देता रहा उसके साथ दोस्ती कायम करता रहा क्यों?
भारत में २६ /११ की घटना के बाद देश में सरकार पर दवाब था कि पाक को सबक सिखाये पर अमरीकन बिदेश मंत्री ने जल्द ही दोनों देशो का दौरा किया और मामला शांत होने के लिए राजी किया. पाक भारत को दुश्मन मानता है पर भारत ने कभी भी अपनी सीमाओ को बढाने की कोशिश नहीं की और ना ही युद्ध की पहल की. हां इस पर युद्ध थोपा गया और अब यह साबित हो चुका है कि भारत से युद्ध जीतना मुश्किल है तो आतंकबाद को थोपा जा रहा हैनकली नोट भेज कर आर्थ विवसथा को चौपट किया जा रहा है . जिसका मतलब साफ़ है पीठ पीछे बार करने की कोशिश की जा रही है.
यह युद्ध अमरीका ने किया और देश की सीमा के अन्दर घुस कर किया तो पाक की प्रितिक्रिया अमरीका के खिलाफ होनी चाहिए थी पर वह भारत को धौंस दे रहा है कि भारत ने यदि इस तरह का प्रयास किया तो नतीजे विकट होंगे. अरे भाई पहिले अमरीका से तो निपट लो ओसामा के मारे जाने के बाद भी ड्रोन हमले जारी है यानी यह प्रियास बंद नहीं होंगे अब दुसरे मोस्ट वांटेड अपराधी की बारी है सूना जा रहा है कि डी कंपनी भी यही से चल रही है औरउनके मुखिया को भागना पडा है किस देश में शरण ली होगी और उस देश पर क्या कारवाही होगी यह सिर्फ समय बताएगा?
आज ग्लोवल माहौल है हर देश में दुताबास होते है जिनसे अपने देश से ख़ुफ़िया जानकारी शेयर की जाती है दुनियाँ के दुताबस पाक में होगे क्या उनके मित्र देशो को पता नहीं होगा कि ओसामा पांच साल से पाक में रह रहा है. नाटो की सेनाये देश में साझा युद्ध अभियास करती है और पाक को हर मुमकिन मदद देती रहती है जब कि उनको भी पता है कि पाक युद्ध सामिग्री का क्या करेगा चीन से लड़ने से रहा क्यों कि चीन से तो अमरीका भी पार नहीं पार पा सकता? तो अमरीका कब से भारत का दोस्त हो गया. इसका इस्तेमाल भारत के खिलाफ ही होना है तो फिर मदद क्यों कर ?
अमरीका चाहता है युद्ध हो तो उसका माल वीके चाहे भारत ले या पाकिस्तान.
१९७१ में जब पाक ने भारत पर हमला किया तो अमरीका और पाक साथ साथ थे और मुह की खानी पडी. आज यह दुहराया जा रहा है कि २६ /११ ,९/११ की घटनाये अलग अलग है अमरीका तो अपना शिकार निकाल सकता है पर यदि भारत निकालने की कोशिश करता है तो अमरीका साथ नहीं देंगा? पाक अमरीका पर हमला नहीं कर सकता क्यों कि उनके ही दिए गए साधनों का इस्तेमाल उसी के खिलाफ यह नहीं हो सकता. अब पाक चाहे कुछ भी कहे पर उसकी बदनामी पुरी दुनियाँ में हो चुकी है पहिले तो यह माना जाता था कि पाक आतंकबादी का मदद गार नहीं हो सकता पर सच नहीं भी हो सकता है पर अमरीका ने नंगा कर दिया कि हर साजिस का गढ़ पाकिस्तान में है साथ ही यह सीख भी दे दी कि दोस्ती तो अमरीका से ही करनी होगी यानी नाटो की सेनाये पाक की सर जमीन का प्रियोग बंद नहीं करेंगी?
परमाणु संधि के बाद पाक का मानना था कि भारत जैसी संधि पाकिस्तान से भी की जाए जब इस मसले पर कोई नतीजा नहीं निकला तो पाक का झुकाव चीन की तरफ हो गया हाल के दिनों में उनके मंत्री कहते सुने गए कि अमरीका से नाता तोड़ो चीन से नाता जोड़ो?यह बात अमरीका हजम कैसे कर सकता था उसका नतीज़ा कि पाक बदनाम हो गया . ओसामा का मारा जाना और पाक को बदनाम किया जाना दोनों ही मकसद को हल करता है.
पाक में ओसामा का मारा जाना और अन्तराष्ट्रीय सीमाओ का उलघन यह साबित कर गया कि उनके लिए इस तरह के प्रितिवंध बेकार है ओसामा का मारा जाना सबको पसंद हो सकता है क्यों कि आतंक का अंत होगा पर कोई देश सुरक्षित नहीं है यह भी साबित होगया आज यदि पाक का नंबर है तो कल किसी और का होगा.” यानी गरीव की लुगाई पुरे गाव की भौजाई” u .n .ओ. की सेनाये आती तो कोई बात नहीं पर एक मुल्क ने दुसरे मुल्क की जमी पर दोस्ती भी की और अपमान भी किया तो आज नहीं तो कल जग हसाई ने पाक नहीं बच सकता है और अमरीका भी दुसरे देशो की इज्ज़त करना नहीं सीख सकता यह सन्देश भी सारी दुनियाँ में जाएगा और देश इससे दूरी बना कर चलने में ही भलाई समझेंगे? जो देश की इज्ज़त से खिलबाड़ से कम नहीं है ज़रा सी गलत फहमी भारत पर आक्रमण करने के लिए काफी थी और ख़तरा अभी टला नहीं है. क्यों कि आज भी आतंकी संघठन पाक में है जो भारत से पंगा लेने में राहत समझ सकते है. भारत की न्यूटल भूमिका बनी रहनी चाहिए कियो कि दोनों ही देश भारत के लिए ख़तरा रहे है भारत में भी यही कहा जा रहा है कि अपने अपराधी को निकालने के लिए हमला करना चाहिए पर देश में उचित माहौल नही है. आज जो युद्ध की बाते करते है वही कल पानी पी पी कर कोशेंगे? जल्दी में लिए गए कदम घातक सिद्ध होते है राजीव जी के समय देखा था जिसमे तमिलो की रक्षा के पहिले सामिग्री भेजी फिर सरकार के साथ तमिलो से खिलाफ युद्ध छेड़ा नतीज़ा राजीव जी की ह्त्या. हर घटना के कई पहलु होते है उनको नज़र दान्ज़ नहीं करने में ही भलाई है . बरना युद्ध का माहौल तो पुरे बिश्व में बना हुआ है और कभी भी बुगुल बज सकता है क्यों कि सरकारे अपने नागरिको को खुश नहीं रख पा रही है हर जगह आक्रोश है जो कभी भी अंतर युद्ध के बदल सकते है और बारूद सुलग सकता है क्यों कि बारूद के ढेर पर बैठी है दुनियाँ?

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