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एक कबि के लाइने सूनी होंगी पर कभी सोचा है क्या कहते यह परिंदे ?.
कोशिशे तमाम की पर याद भी ना आयी हमें,
और ऐसा भी कि हम तुम्हे भूल गए?
एक कहानी याद आ रही है कि दो बिल्लियाँ एक रोटी उठा लाई और आपस मै झगड़ रही थी इतने मै एक बन्दर आ गया उसने पूंछा कि माजरा क्या है उन्होंने बताया कि रोटी का बट्बारा नहीं हो रहा है .तभी बन्दर ने तराजू मागा और उसमे रोटी को तोड़ कर रख दिया . रोटी का टुकड़ा बराबर ना होने के कारण उसको तोड़ कर खाता गया और रोटी ख़तम होती गई . अंत मै रोटी ख़तम और बिल्लिया रोती हुई वापिस लौट गयी. ………………..?
येही हाल हमारा हाल एक मुल्क एक रीत रिवाज़ और अमन के लिए दुसरो पैर निर्भेर . क्या हमें दुसरे लोग पञ्च बनाने होंगे ? आज़ादी की जंग हमने मिलके लड़ी और आज़ादी के बाद क्या घटा कि हम दुश्मन बन गए. एक जो विस्वास एक जज्वा था कुछ मुठ्ठी बहर लोगो ने तोड़ने की कोशिश की पर वोह कामयाव नहीं हो पाए ?
यह देश का सौभाग्या रहा है कि एक हाथ कुछ तोड़ने की कोशिश करता है तो हज़ार हाथ उसको बचने मै आगे आ जाते है यही अमन का सन्देश है पिछले दिनों जब बोम्बे पर हमला हुआ तो आतंक बादियो को कब्रिस्थान तक नहीं नसीव हुआ ?. यह मिस्साल है उन देशो के लिए जो अपने हथियार बेचने के लिए कुछ देश चुनते है . और व्यापार करनेके लिए लड्बाते है .
इस देश ने शांति दूत जवाहर लाल को दिया तो विश्मिल्ला खान और रसखान और जायसी के रूप मै हीरे दिए है . जो किशी अन्य धर्म के होने के बाद भी कृष्णा लीला और विश्नाथ मंदिर की सेवा मै रमे रहे . और उनके जैसा उदहारण कही भी नहीं मिला .
यह परम्परा की महान उंचाइयो पर ले जाने के लिए काफी है .
यह तो कुछ लोगो की मजबूरी है जो सच को पहचान नहीं कर पा रहे है या सच को नकार रहे है .
बरना बिना भेद भाव के जो देश अन्न , जल और हवा दे रहा है उसके खिलाफ साजिसे क्यों ?
आज पैसे ने देश की आत्मा गिरबी रख दी है . घर परिवार और समाज मै द्वेष भर दिया है . पुरी विवसथा और परिवार डाव पर है और हम कह रहे है कि हमने तर्रकी की है ?
हमने पैसो की चका चौध मै रिश्तो को नक्कार दिया है . और अपने को बड़ा मान कर चल रहे है .अपने को बड़ा और दुसरो को छोटा मान रहे है . हर धर्म के साहित्य मै कुछ न कुछ खूबिय है जिनको किसी कारन bas अनदेखा करने की सोच बनाते जा रहे है . जब कि हर धर्म मै सच और निर्वल की मदद का पूरा लेखा जोखा रहता है .
हमारा माध्यम बर्ग इस को स्वीकार करने मै अपनी तोहीं मान रहा है . यह परंपरा हमें निराशाबदी बनाती है जो सही नहीं है . यही बड़े लोग ऐसे शारुख खान और सलमान खान जैसी हस्तिया ;हर चीज़ को बड़ा चदा कर हर धर्म को अपना रही है .
आज बहतर एजुकेशन ने देश की युवा पीरी की सोच को बदल दिया है यही कारण है कि ब्रोअड माइंड बन कर हर तरह के हल खोज रहे है और होना भी यही चाहिए . इन लोगो ने देश की मुख्य धरा मै शामिल होना सीख लिया है और कामयाव ही है .
इनलोगों ने जो अमन का खाका खेंचा है उसमे यह लोग खरे हो तमाम हल है वोह उनको मिलेंगे . इनकी लगन और विस्वास देख कर लगा है कि अमन का यह चिराग जलता ही रहेगा और मदद मै इनके हाथ उठे है तो अराजकता का खात्मा होना निश्चित है . और यह भी सच है कि अमन का दौर शुरू हुआ तो कामयाबी निश्चित है वोह मिल कर रहेगी . लगन के नाम एक शायर की लाइने याद गार है ,’
“आंधियो तुमने दरकतो को गिराया होगा ,
कभी फूल से तितली को गिरा के देखो .”
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