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अयोध्या का भूत फिर बोतल से निकलने को तैयार है कोर्ट का फैसला आने बाला है सभी पार्टिया अपने अपने नुस्खे तैयार कर रही है .ना जाने कोंन सा गुरु मंत्र काम कर जाये ? or satta kee chabhee unkey हाथ लग जाये.
abhe हाल ही मई एक टीवी चैनल ने रिपोर्टिंग की की अयोध्या की राजनीत बहार वाले कर रहे है जब की लोकल पब्लिक नहीं चाहते की अयोध्या मै बाहरी हस्तचेप हो पर होगा वोही जो ये नेता चाहेगे ?
विकास के लहर यहाँ नहीं बही हॉस्पिटल नहीं बने नगर पालिका का स्वाभाव नहीं बदला कियो की लोग नहीं चाहते की बहा की तर्रकी हो लोगो को रोजगार मिले अच्छे स्कूल कॉलेज हो.
mandiro की हालत आज जर्जर हालत मै है उनको कोई सुधार करने को तैयार नहीं है यदि कोई संगठन चाहता की इस सिटी की तार्राकी हो तो यहाँ कोई ना कोई फैक्ट्री लगती जिससे यहाँ रोज़गार पैदा होते और नव जवान को काम मिलता अच्छे हॉस्पिटल मिलते जिनसे लोगो का इलाज होता?
अनगिनत वार कभे भूमि पूजन हुआ कभी शिलालेख बनी कभी मस्जिद टूटी पर लोकल लोगो को किया मिला ?
इतना पैसा आया आउट साइड कंट्री से और देश के अन्दर से की एक नै अयोध्या बन जाती और लोग देखने जाते कहते की किया राम जी की अयोध्या है? पर्मेषर के नाम पैसा उठा और लगा कहा लोगो ने देखा.
काश इन नेताओ ने महशुश किया होता की यह पैसा अयोध्या की भलाई मै लगे तो अयोध्या स्वर्ग से bhee सुंदर बन गयी होती हां यह बात और है
की नेताओ को अपनी पार्टी नहीं चमका सकते थे सत्ता मै नहीं आ सकते थे .
बहर तंत्र है इसमे लोग बुद्ध से काम ना लेकर सिर्फ स्वार्थ ही की कामना करते है
पवित्र मंदिर किसी के धरोहर नहीं है आस्था के प्रतीएक है इनका सम्मान करना ही चाहिए पर यदि स्वार्थ के नाम पर किया गया तो आस्था कम होती जायेगी उधाहरण के लिए यदि देखा जाये तो किया मिला अयोध्या को या वहा की जनता को ?
जनता आज भी गरीबी के दल दल मै है और रोज़गार के लिए भटक रही है.
यदि अयोध्या के लिए कुछ करना भी परे तो विकास करना होगा अच्छी सुविधाए मुहैया करनी होगी एक मंदिर जो विबादो मै है पर और भी तो मंदिर है जिनका पुनः रचना होनी है उनके धर्षण के लिए भी भक्त आते है? उनमे भी बही राम रहते है जो राम लला के मंदिर मै रहते है तो सब मंदिर का संभालने का जिम्मा कोंन उठा येगा ?
जब हम कहते है की सब धर्म समान है तो सब देवता भी समान है तो जो पैसा इकठ्ठा होता है तो सब मंदिर को मिलना चाहिए .
सब मंदिरों की मरमत होनी चाहिए कियो की हमारे राम लला मर्यादा पुरोस्तम राम थे ना की स्वार्थी राम .
देश मै कितने ही धर्मादा ट्रस्ट है जिनका चढ़ावा करोरो मै aata है किया कोई ट्रस्ट अयोध्या को पुनः निर्वाण के लिए कुछ हिस्सा दे सकता है जिससे इन मंदिरों की हालत सुधार सके या कोई धर्म गुरु अपने चादावे से कुछ dhan दे कर इन मंदिरों की मरमत करा सकता है उन्ही राम के नाम पर चंदा इकठ्ठा होता है वोही गारी गुज़री हालत मै हो तो शर्म तो मह्शोस होगी ही की मथाधीस कब काम आयेंगे?
गंगा और यमुना के उत्थान मै सफाई मै करोरो रूपया पानी के तरह वहा दिया जाता है और वोह गंगा मैली की मैली ही रहती है
मेरा सुझाव है की बडे ट्रस्ट कुछ हिस्सा daan मै देकर इस अयोध्या सरीकी नगरी के विकास का बीरा उठाये जिससे सिटी का नाम और पवित्रता और आस्था बनी रहे? यदि कुछ ट्रस्ट पर पैसा है तो क्यों ना इस नेक काम मै हाथ बताये एक साधू संत यदि एक मंदिर का जिम्मा ले तो सब मंदिर सुधार जायेंगे और शायद उनके मन मै भी यह शांति होगी की भगवन राम के लिए कुछ तो किया इसी तरह उधोग पति को भी सोचना चाहेइए की जिन राम की किरपा से आज वोह इस काबिल हो गये है उनकी चरण मै एक संस्था और उधोग लगा कर कुछ पुण्य kamaa ले
अयोध्या की तर्रकी ही असली राम को दे गयी वंदना होगी .
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